वानी

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सिर्फ बीवी नहीं

                 आर्यन चैप्टर 32

                  सिर्फ बीवी नहीं

अब तक आपने पढ़ा आर्यन उनसे शुरू से सारी कहानी बताने के लिए कहता गई तो श्लोक जी उसे उनकी कहानी बताने लगते हैं आर्यन जैसे जैसे कहानी सुन रहा था वैसे ही उसका गुस्सा बढ़ रहा था


अब आगे

लेकिन वो नहीं सुधरे, भाभीसा ने एक बेटे को जन्म दिया , लेकिन उनकी खराब हालत के कारण उनकी मौत हो गई और भाइसा को इस बात से कोई खास फर्क नही पड़ा, वो तो बस भाभिसा को एक खिलौने की तरह इस्तेमाल कर रहे थे"

कर्मवीर की आंखे भर आती हैं, लेकिन वो खुद को संभालते हुए कहते हैं "बेटे के जन्म के बाद ही वो चल बसी, लेकिन बापूसा हमेशा उदास रहने लगे थे, उन्हे वसीयत बनानी थी लेकिन , अगर वो ये प्रॉपर्टी भाइसा के बेटे के नाम करते तो वो उससे ले लेते , दिन बीतते जा रहे थे, बापुसा के मन की बात तो मैं नहीं जानता, लेकिन वो हमेशा कहते थे , इस रियासत का वारिस , मेरा बेटा होगा"

आर्यन कंफ्यूज होते हुए कहता है "फिर उन्होंने सब जीनी के नाम क्यों किया" कर्मवीर जी कहते हैं "क्योंकि हमारा कोई बेटा नहीं था , इसलिए बपुसा ने ये रियासत जीनी को देने का फैसला किया, लेकिन फिर"

तभी आर्यन उनकी बात काटते हुए कहता है "बेटा हो भी तो सकता था, कोई इतनी भी देर नहीं हुई थी"

कोई कुछ कहता उससे पहले ही श्लोक जी कहते हैं "हां... बेटा हो सकता था, लेकिन उससे पहले ही धर्मवीर जी को उनका वारिस मिल गया था, बेटा हो भी जाता फिर भी धर्मवीर ये रियासत जीनी के नाम ही करते "

श्लोक जी की बात सुन सबको एक सदमा सा लगता है, क्योंकि जो वो कह रहे थे , उसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं था...


ये एक सुनसान जंगल था, उसी जंगल के बीचों बीच एक खूबसूरत सी हवेली थी, और उस हवेली के आंगन में एक करीब 30/31 साल का एक मस्कुलर बॉडी वाला इंसान बैठा था, और उसी के सामने सोफे पर रणधीर बैठा था

रणधीर उस आदमी को प्यार से देखते हुए कहता है "अच्छा हुआ तुम आ गए बेटा,वरना हम अकेले उसे नहीं रोक पाते"

तभी वो आदमी एक शातिर मुस्कान के साथ कहता है "आप फिकर मत करिए बापुसा हमारा नाम भी रणविजय मित्तल है,और जो चीज हमारी है, उसे हम किसी और को नहीं देंगे, और वैसे भी बाप की जायदाद बेटे के नाम होती है"

रणधीर गुस्से में कहता है "पता नहीं उस बूढ़े ने क्या सोच कर ये रियासत उस लड़की के नाम कर दी" फिर एक शातिर मुस्कान के साथ कहता है "लेकिन जो भी हो मानना पड़ेगा , इसका (जीनी) पति जान देने को तैयार रहता है , इसके लिए"

रणविजय कुछ देर खामोश रहता है, फिर वहां से एक कमरे की तरफ बढ़ जाता है , और वहां का नज़ारा देख उसके चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान खेलने लगती है, वो कुछ देर देखता है फिर अंदर चला जाता है

किसी की आहट होते ही, जीनी अपनी आंख खोल कर देखती है तो ये रणविजय था, उसे वहां देख जीनी उसे घूरते हुए कहती है "आपसे ये उम्मीद नहीं थी भाईसा "

रणविजय उसके करीब आता है और उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहता है "हमे भी तुमसे ये उम्मीद नहीं थी, बचपन में भी तुम सिर्फ उस आर्यन की बात सुनती थी,और आज भी"

फिर दुखी होते हुए कहता है "तुम जानती हो ना हम तुमसे कितना प्यार करते हैं, उसके बाद भी तुम हमारी बात नहीं मान रही हो, हम तुमसे बस इतना ही तो कह रहे हैं, की तुम ये रियासत हमारे नाम कर दो बस, लेकिन नहीं तुम्हे तो हमारी बात माननी ही नहीं है"

फिर आराम से कहता है "आखिर तुम्हारे पास किस चीज़ की कमी है, तुम्हारा पति कोई आम आदमी तो है नहीं, फिर भी तुम क्यों इस रियासत के लिए अपनी जान देना चाहती हो"

जीनी उसे गुस्से में घूरते हुए कहती है "आपको लगता है,की आप मुझे मार सकते हैं" फिर कुछ पल रणविजय को देखती है फिर कहती है "मैं उनकी मोहब्बत हूं सिर्फ बीवी नहीं , और आपने सही कहा वो कोई आम आदमी नहीं हैं, ये रियासत मेरे नाम नहीं है, और होती भी तो मैं आपको नहीं देती"

जीनी उसे धमकी देने वाले लहजे में कहती है "भाईसा ज़रा सोच कर ज़ख्म दीजिएगा, क्योंकि वो अपने जिस्म पर तो बर्दाश्त कर लेंगे लेकिन मूझपर, दिए हर एक ज़ख्म का वो हिसाब बराबर करेंगे, और आपको सुध समेत वापस जरूर करेंगे"

रणविजय उसकी धमकी सुन हंसते हुए कहता है "ओहो मेरी छोटी सी बहन, तुम कुछ ज़्यादा ही भरोसा करती हो जीजू सा पर" जीनी उसे घूरते हुए कहती है "बस इतना जितना सीता को राम पर था, राधा को श्याम पर था, उतना ही जिन को उसकी मोहब्बत पर है"

रणविजय हस्ते हुए कहता है "तुम शायद मेरे बारे में नहीं जानती हो बहन , मैं इंडिया के टॉप बिजनेसमैन में से एक हूं, और तुम जहां हो वहां का पता तो वो इस जन्म में क्या अगले जन्म में भी नहीं लगा पाएगा, और खुद भी मारा जायेगा"

जीनी एक व्यंग भरी मुस्कान के साथ कहती है "बहुत दुख की बात है भाईसा, आप उन्हें नहीं जानते, और आप उन्हें मुझ तक आने से रोक सकते हैं, अच्छा मज़ाक है,बहुत अच्छा"

जीनी कुछ पल उसे देख फिर कहती है "वो मुझे ढूंढ लेंगे , चाहे आप मुझे इस दुनिया में रखें या कहीं और, मुझे बचाने के लिए वो किस हद तक जा सकते हैं ये आप सोच भी नहीं सकते"

रणविजय उसे घूरता है , और वहां से जाते हुए कहता है "वो तुम्हें कभी नहीं ढूंढ पाएगा"

और वहां से चला जाता है, जीनी रस्सी से खुद को छुड़ाने की कोशिश तो करती लेकिन वो ऐसा कर नहीं पाती, वो अपनी आंखे बंद कर लेती है, तभी उसके सामने एक नज़ारा आ जाता है

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फ्लैशबैक

जीनी कुछ काम कर रही थी किचन में तभी , आर्यन आता है और पीछे से उसे बांहों में भर लेता है, जीनी उससे खुद को दुर करते हुए कहती है "आप ये क्या कर रहे हैं, छोड़िए मुझे"

आर्यन उसके गले पर किस करते हुए कहता है "मेरा मूड नहीं है" और उसकी कमर सहलाने लगता है, जीनी उसकी छुवन से सिहर सी जाती है, आर्यन धीरे से उसे अपनी तरफ पलटता है,

और उसकी आंखो को देखता है, जो शर्म से झुकी हुई थी, और सांसे तेज थी उसकी नज़र जीनी के सीने पर थी, वो कुछ देर उसे देखता है फिर धीरे से कान में कहता है "तुम्पर थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी"

जीनी को उसकी बात समझ नहीं आती है तो वो अपनी पलकें झपकाते हुए कहती है "क्या मतलब है आपका"

आर्यन उसकी कमर पर अपनी पकड़ कस देता है, जीनी को ऐसा लग रहा था,जैसे उसकी कमर ही टूट जायेगी! आर्यन धीरे से कहता है "तुम्हारा साइज बहुत छोटा है, थोड़ी ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी"

जीनी को अब भी समझ नहीं आता है तो आर्यन उसके सीने की तरफ इशारा कर देता है, और हल्के से उसके होंठो को चूम कर चला जाता है

और जीनी अपनी आंखे बड़ी बड़ी करके बस उसे जाते हुए देखने लगती है , वो गुस्से में कहती है "बेशरम इंसान"

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प्रेजेंट

जीनी की आंखे नम थी, वो खुद से ही कहती है "क्यों ऐसी मुक्कदर लिखता है क्यों वो हर बार हमें जुदा लिखता है!

अब और बर्दाश्त नहीं होती ये दूरी क्यों नहीं वो हर जन्म साथ लिखता है"

मिलते हैं अगले चैप्टर में तब तक के लिए बाय बाय

           वानी

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4 Comments

Abhilasha Deshpande

05-Jul-2023 02:55 AM

बेहद खुबसुरत कहानी

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Babita patel

04-Jul-2023 07:23 PM

Nice

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अदिति झा

20-Jun-2023 06:03 PM

Nice one

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